मध्य प्रदेश के अफसरों की लापरवाही इस हद दर्जे की है कि वे पीएमओ (Prime Minister Office) तक को सीरियस नहीं ले रहे. पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम शिवराज सिंह चौहान के गुड गवर्नेंस के सपने को अफसर ही पलीता लगा रहे हैं.
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मध्य प्रदेश में गुड गवर्नेंस के लिए बनाए गए तंत्र ‘सीएम हेल्पलाइन’ (डायल 181) का हाल ये है कि शिकायतों का निपटारा तो दूर, अफसर ऑनलाइन मिलने वाली शिकायतों को देखने के लिए डैशबोर्ड में लॉग इन तक नहीं कर रहे हैं. इतना ही नहीं मध्य प्रदेश के अफसरों की लापरवाही इस हद दर्जे की है कि वे पीएमओ (Prime Minister Office) तक को सीरियस नहीं ले रहे. पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम शिवराज सिंह चौहान के गुड गवर्नेंस के सपने को अफसर ही पलीता लगा रहे हैं.
मध्य प्रदेश से पीएमओ को प्राप्त हुई हैं 47000 से ज्यादा शिकायतें
मध्य प्रदेश सीएम हेल्पलाइन की हकीकत चौंकाने वाली है. इसके लिए ऑनलाइन नेटवर्क तो बना पर, पर अफसर बेपरवाह बने हुए हैं. मध्य प्रदेश की जनता की ओर से विभिन्न अनियमितताओं को लेकर पीएमओ में करीब 47000 से ज्यादा शिकायतें की गई हैं. इन शिकायतों के निराकरण के लिए पीएमओ ने राज्य के अफसरों को रिमाइंडर तक भेजे हैं, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है.
शिकायतों का निपटारा तो दूर अफसर पोर्टल में लॉग इन नहीं करते
एमपी सीएम हेल्पलाइन की स्थिति यह है कि अफसर ऑनलाइन मिलने वाली शिकायतें देखने के लिए पोर्टल में लॉग इन तक नहीं करते. कुछ जगह अफसरों ने ऑपरेटर लेवल के स्टाफ को लॉग इन के लिए ID पासवर्ड दे रखे हैं. सीएम हेल्पलाइन के संचालक ने 9 फरवरी को ऐसे 82 अफसरों को चिन्हित कर लिस्ट भी जारी की है. मंत्रालय सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री कार्यालय के सीपी ग्राम (CPGRAM/Centralized Public Grievance Redress and Monitoring System) पोर्टल पर पूरे देश से शिकायतें दर्ज की जाती हैं. इसमें वर्तमान में मध्य प्रदेश की 47,944 शिकायतें पेंडिंग हैं.
पीएमओ ने रिमाइंडर भेजा, अफसरों के कान पर जू तक नहीं रेंगती
पीएमओ ने मध्य प्रदेश के संबंधित विभागों के अफसरों को शिकायतों के निपटारे के लिए 6 नवंबर 2020 को रिमांइडर भी भेजा, लेकिन इसका असर नहीं हुआ. भोपाल के कोलार के वार्ड-83 में फाइन एवेन्यू फेस-2 में अलीशा विहार जाने वाली 500 मीटर लंबी सड़क लंबे समय से बदहाल है. स्थानीय लोग सड़क बनवाने के लिए सीएम हेल्पलाइन में 35 बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं. सड़क की बदहाली कायम है. सीएम हेल्पलाइन में इंदौर, ग्वालियर, भोपाल, सागर, रीवा, सतना और उज्जैन से करीब 20,755 शिकायतें पेंडिंग हैं.
सीएम हेल्पलाइन को ही खुद हेल्प मांगनी पड़ रही: कांग्रेस
इस मुद्दे पर कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा, ”मध्य प्रदेश में बड़े-बड़े दावे कर के सीएम हेल्पलाइन की स्थापना की गई थी. इस हेल्पलाइन का मकसद था लोगों को उनकी समस्याओं का जल्द से जल्द निराकरण करना था. सरकार के हालात ऐसे बदतर हैं कि 82 अधिकारियों ने ऑनलाइन पोर्टल पर लॉगिन ही नहीं किया. ऐसी अराजक स्थिति है कि सीएम हेल्पलाइन को ही खुद हेल्प मांगनी पड़ रही है.”
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