बाजार की इस सीट पर कई है दावेदार, कुछ पैतृक भरोसे तो कुछ स्वयं के दम पर ठोक रहे हैं ताल
Indore Vidhan sabha 3। इंदौर मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी है यहाँ व्यापार और व्यापारियों की भरमार है इलेक्ट्रॉनिक, राशन, कपड़ा मार्केट आदि के अलावा सभी प्रकार के व्यापारी बहुतायात में है। इन सारे व्यापारियों के व्यापार का मुख्य स्थान विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 है। यह कहना गलत नहीं होगा कि जैसे प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर है वैसे ही इंदौर की आर्थिक राजधानी विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 है। वर्तमान में यहां से विधायक आकाश कैलाश विजयवर्गीय हैं। व्यापारिक सीट होने से यहां के निवासियों के मन से कोई बात को बाहर निकाल लेना बड़ा काम है। रहस्यमयी सीट है फिर भी सद्भावना पाती अखबार यहां के दावेदारों के पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों पक्ष आपके सामने रख रहा है और निष्कर्ष में हमारे सूत्रों से प्राप्त जानकारी भी उपलब्ध कराई जा रही है।
बीजेपी से संभावित उम्मीदवारों में आकाश कैलाश विजयवर्गीय, उषा ठाकुर, अखिलेश शाह, मंदार महाजन और गोपी कृष्णा नेमा का नाम प्रमुख है।
कांग्रेस से दीपक (पिंटू) महेश जोशी, अश्विनी जोशी, संजय शुक्ला, अर्चना जायसवाल, अरविन्द बागड़ी और शैलेश गर्ग का नाम प्रमुख है।
आकाश कैलाश विजयवर्गीय :-
सरल सहज और बातचीत में शालीनता के धनी व्यक्ति आकाश विजयवर्गीय शहर के युवाओं को जोड़ने में महारत हासिल किए हुए हैं। शिव भक्त है. हजारों की संख्या में युवा कार्यकर्ता आकाश विजयवर्गीय के साथ तन मन धन से जुड़े हुए हैं, किसी भी पार्टी, दल या साधारण व्यक्ति के लिए समान व्यवहार रखने और सबकी सुनने वाले आकाश को क्षेत्र के व्यापारी और क्षेत्रवासी पसंद करते हैं। कहा जाता है कि आकाश जी जैसे सक्रिय विधायक पूरे मध्य प्रदेश में नहीं है। अपनी दिनचर्या का लगभग पूरा समय क्षेत्र की जनता के बीच गुजारने वाले नेता हैं। अपने खुद के दम पर आठ पार्षदों को जिताने का कार्य आकाश से ही हो पाया है, क्षेत्र में 2000 करोड़ से ज्यादा के कार्य का श्रीगणेश किया जा चुका है।
क्षेत्र में स्कूल, अखाड़े, खेल गतिविधि, सड़के, पानी की टंकी, ड्रेनेज पर बहुत ध्यान दिया गया है। उनके विधायक बनने के बाद व्यापारियों से चंदा खोरी पर लगाम लगा है, स्वयं के व्यय पर प्रोग्राम आयोजित करवाते हैं जिसका भार पूर्ववत व्यापारियों पर नहीं पड़ता। न्यायप्रिय नेता की छवि बना रहे हैं यदि अधिकारी सही है तो उसके पक्षधर और यदि जनता सही है तो उसके पक्षधर बनकर जन सेवा कर रहे हैं। हालांकि इनका नाम विधानसभा दो के संभावित उम्मीदवारों की सूची में भी है।
इनका माइनस यह है कि वंशवाद के बड़े उदाहरण, बल्ला कांड लोगों के जेहन में है, 2018 के चुनाव में रिजल्ट की घोषणा के समय जिस तरह से रिटोटलिंग करके सारे प्रपंच कर अप्रत्याशित रूप से आकाश विजयवर्गीय के जीत की घोषणा कर दी गई थी, यह मामला क्षेत्र के जनता के दिमाग में हमेशा रहता है। आकाश अपने पिता कैलाश विजयवर्गीय से इतर अपनी छवि बनाने में मेहनत करते हैं पर वर्तमान में इसमें सफल नहीं हुए।
उषा ठाकुर :-
वर्तमान में मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री है तीन अलग-अलग विधानसभा से स्व.भल्लू यादव, अश्विन जोशी और अंतर सिंह दरबार जैसे कद्दावर नेताओं से चुनाव जीतकर अपना लोहा मनवा चुकी है, चुनाव लड़ने की अपनी विशिष्ट शैली के कारण किसी भी विधानसभा से चुनाव लड़ने से पीछे नहीं हटती है, क्षेत्र क्रमांक 3 से तत्कालीन विधायक अश्विन जोशी को भारी मतों से हरा चुकी है इस बार भी इनका नाम क्षेत्र क्रमांक एक और तीन से संभावित है।
इनका माइनस यह है कि सर्व विदित है कि उषा ठाकुर जहां से भी लड़ती है वहां के कार्यकर्ता ही उनके खिलाफ हो जाते हैं। क्षेत्रवासियों का कहना है कि यदि उषा जी ने काम किए होते तो आकाश जी और कई हजारों वोटो से जीते होते। कार्यकर्ताओं से मेलजोल बंद होकर एकदम गायब हो जाती है। अपने चुनिंदा कुछ लोगों से घिरी रहने के कारण बहुत नुकसान उठाना पड़ता है।
अखिलेश शाह :-
क्षेत्र क्रमांक 3 निवास के स्थानीय निवासी होने, युवाओं की भारी भरकम फौज होने से क्षेत्र में संभावित उम्मीदवार की दौड़ में शामिल है, शाह पूर्व में भाजपा कार्यालय मंत्री रहे जिसके कारण पूरे शहर में जीवंत संपर्क रखते हैं। हिंदुत्व और धार्मिक छवि के कारण संगठन से लेकर जनता तक शाह ने अपनी स्वयं की पहचान बना रखी है, कुछ समय पूर्व ही क्रिकेट टूर्नामेंट कराकर अखबारों में खूब छपे हैं।
इनका माइनस यह है कि क्षेत्र की जनता में सीधे संवाद की कमी है और सक्रियता कम है, कट्टर हिंदुत्व की छवि के कारण मुस्लिम वोटर साथ नहीं है, क्षेत्र क्रमांक 3 के अन्य उम्मीदवारों की तुलना में अपनी पहचान जनता में कम रखते हैं, कोई चुनाव नहीं लड़ा है, अपने बड़बोलेपन के कारण वरिष्ठ नेताओं में धूमिल छवि है।
मंदार महाजन :-
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री सुमित्रा महाजन जी के पुत्र मंदार महाजन व्यापारिक पृष्ठभूमि से हैं। मराठी वोटरों में अच्छी पकड़ रखने वाले हैं उनकी दावेदारी राऊ विधानसभा से भी थी लेकिन वहां से टिकट न मिलने से विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 के दावेदारों में गिनती हो रही है। ताई की इच्छा का सम्मान करते हुए उनकी विरासत को जारी रखने के लिए बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व इनके टिकट पर मोहर लगा सकता है।
इनका माइनस यह है कि क्षेत्र में कोई जीवंत संपर्क नहीं। सिर्फ अपने माता जी के दम पर चुनाव में नाम चल रहा है। क्षेत्र के ज्यादातर लोगों ने कभी न मिलने का दावा भी किया है, जनता के साथ-साथ कार्यकर्ता भी इन्हें नहीं पहचानते हैं।
गोपी कृष्णा नेमा :-
विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 से विधायक रह चुके गोपी कृष्णा नेमा वरिष्ठ नेता है। अपने पुराने साथियों से सतत संपर्क में रहने वाले नेमा जी साल में 1, 2 प्रोग्राम करा कर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएं रहते हैं। बीजेपी के प्रोग्राम में अपनी उपस्थिति हमेशा रखते हैं संगठन से जुड़े हुए अनेक पदों पर रह चुके नेमाजी की छवि पुराने कार्यकर्ताओं में अच्छी बनी हुई है।
इनका माइनस यह है कि अश्विन जोशी से चुनाव हार चुके हैं और वर्तमान युवाओं में कम स्वीकार्य है। क्षेत्र की जनता में पहचान है पर पसंद में नहीं है। चुनाव जीतने की क्षमता कम दिखती है।
दीपक (पिंटू) महेश जोशी :-
युवा चेहरा है साफ स्वच्छ छवि, मीठी बोली के धनी मेहनती और संगठन की क्षमता रखने वाले पिंटू विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं, पिता स्वर्गीय महेश जोशी जी दिग्विजय सिंह सरकार में अघोषित मुख्यमंत्री रहे हैं, उनकी प्रबंधन क्षमता और राजनीतिक चालों का विपक्ष के पास कोई जवाब नहीं होता था, दिग्विजय सिंह के गुरु माने जाने वाले स्वर्गीय जोशी कई राज्यों की सरकारें बनाने और बिगाड़ने में महारथी थे। अपने पिता के गुणों को लिए हुए पिंटू संघर्ष और ऊर्जावान नेता है, छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय रहे पिंटू राजनीतिक परिवार से आने के कारण दिल्ली दरबार तक सीधी पहुंच रखते हैं।
पिंटू को अपने भाई अश्विन जोशी का साथ मिल जाता है तो विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 से जीत हासिल कर सकते हैं। युवाओं में अपनी अलग पहचान बना चुके पिंटू स्वर्गीय जोशी के कारण वरिष्ठ और सीनियर सिटीजन में भी अपनी पहुंच रखते हैं और जनता द्वारा पसंद भी किए जा रहे हैं। पिता और बड़े भाई के संबंधों को भुना सकते हैं, सूत्रों के मुताबिक पैनल में रखे गए नाम में इनका नाम फाइनल है।
इनका माइनस यह है कि यह भी वंशवाद के बड़े उदाहरण है, अति उत्साही नेता है, अभी तक जनता से रूबरू होने वाला कोई चुनाव नहीं लड़े हैं राजनीतिक अपरिपक्वता है, शब्दों पर लगाम नहीं रख पाते हैं। भाई अश्विन जोशी का साथ नहीं मिलने पर चुनाव जीतना असंभव है।
अश्विन जोशी :-
क्षेत्र क्रमांक 3 से 3 बार विधायक रह चुके अश्विन जोशी एक समय में पानी वाले बाबा के नाम से पूरे प्रदेश में जाने जाते थे। मंत्री पद के प्रबल दावेदार रहे अश्विन जोशी पूर्व मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता स्व. महेश जोशी के भतीजे हैं पिछला चुनाव बहुत कम वोटो से हारे हैं रिटोटलिंग का शिकार हुए हैं, टिकट मिलने और छोटे भाई पिंटू जोशी का साथ मिलने पर चुनाव जीतने के प्रबल दावेदार हैं।
इनका माइनस यह है कि उषा ठाकुर और आकाश विजयवर्गीय से कुल दो बार चुनाव हार चुके हैं, कड़वे बोल के कारण इनके ही कार्यकर्ता इनसे बात करने में डरते हैं और जनता ने दूरी बनाए रखी है, अहंकार की राजनीति करते रहे वोटो की फिक्र नहीं करी और कई लोगों को मुंह पर ही वोट न देने का बोल दिए, कई कार्यक्रम में चंदे और जन सहयोग की चर्चा भी रही। गाली गलौज से बात करने की आदत के कारण जनता की नजर से उतर चुके हैं।
अर्चना जायसवाल :-
कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री है दिल्ली दरबार में पहुंच रखती हैं मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी है, इंदौर में महापौर का चुनाव लड़ चुकी है, अपना खुद का जनाधार रखती है कई सामाजिक संगठनों में सक्रिय है, महिलाओं की लंबी चौड़ी टीम अर्चना जी के साथ है। जोशी बंधुओं के आपसी झगड़ों का फायदा मिल सकता है और महिला होने के नाते शहर की एक सीट के लिए प्रबल दावेदार हैं।
इनका माइनस यह है कि महापौर के चुनाव में करारी हार मिली थी कुछ वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी का शिकार है जनता के लिए कोई बड़े मुद्दे नहीं उठा पाई, महिला उत्थान के लिए भी कोई बड़े कार्य नहीं किए। जमीनों के कुछ मामले भी सामने आते रहे हैं।
संजय शुक्ला :-
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधानसभा एक से विधायक शुक्ला इस बार 3 नंबर विधानसभा से प्रत्याशी हो सकते हैं क्योंकि प्रदेश नेतृत्व यह जानता है कि महापौर चुनाव में एक नंबर के अपेक्षा विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 से शुक्ला को अधिक वोट मिले थे वहीं जोशी बंधुओं की लड़ाई के कारण शुक्ला इस क्षेत्र से प्रत्याशी हो सकते हैं धार्मिक आयोजनों भंडारो के लिए प्रसिद्ध शुक्ला यहां से भी चुनाव जीत सकते हैं।
इनका माइनस यह है कि विधानसभा एक में इस बार जीत की उम्मीद कम है जोशी बंधुओं का साथ नहीं मिलने से यहां भी जीतना असंभव होगा।
शैलेश गर्ग :-
शहर कांग्रेस में पदासीन गर्ग कांग्रेस कमेटी के सक्रिय कार्यकर्ता है क्षेत्र क्रमांक 3 में अग्रवाल समाज बहुतायत में है शैलेश गर्ग सामाजिक सक्रिय होने के साथ-साथ अन्य गुटों में भी मान्य है पार्षद का चुनाव लड़ चुके हैं और अपना खुद का जनाधार रखते हैं। एक अच्छे फाइनेंसर के रूप में पहचाने जाने वाले गर्ग जोड़-तोड़ की राजनीति में माहिर है।
इनका माइनस यह है कि वरिष्ठ नेताओं में मान्य नहीं है पार्षद के चुनाव हार चुके हैं विधानसभा दावेदारी की राह कठिन है, पार्टी में सक्रिय है परंतु जनता में सक्रिय नहीं है।
अरविंद बागड़ी :-
जोशी बंधुओ की आपसी लड़ाई का फायदा बागड़ी को मिल सकता है, सामाजिक सक्रिय नेता हैं, अग्रवाल समाज के बहुतायत में होने से टिकट के लिए अच्छे दावेदार है, टिकट न होने पर अग्रवाल समाज में नाराजगी हो सकती है, इस बात को कांग्रेस हाईकमान जानता है। आर्थिक मजबूत और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है कुछ दिनों के लिए इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे हैं अग्रवाल समाज में अच्छी पकड़ रखने वाले अरविंद बागड़ी भी व्यापारिक पृष्ठभूमि से आते हैं, शोभा ओझा के कोटे से टिकट की संभावना है।
इनका माइनस यह है कि शहर अध्यक्ष बनने के दौरान कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने ही विरोध चालू कर दिया था सर्वमान्य नेता नहीं है, व्यापारिक पृष्ठभूमि भी स्वच्छ नहीं है। समाज के अलावा अन्य गुटों में मान्य नहीं है, वरिष्ठ नेताओं से सामंजस्य बहुत अच्छा नहीं है।
निष्कर्ष :-
दैनिक सदभावना पाती अखबार अपने पत्रकारिता के अनुभव और मीडिया सूत्रों के आधार पर कहता है कि विधानसभा चुनाव 2023 में आकाश विजयवर्गीय और पिंटू जोशी का सीधा मुकाबला होगा, यदि अश्विन जोशी का साथ मिलता है तो चुनाव का परिणाम रोचक होगा. दोनों भाइयों में पटरी नहीं बैठने पर रिजल्ट में बदलाव संभव नहीं है. दोनों ही पक्ष के संतुष्ट और असंतुष्ट नेताओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी.