यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुरेश महाजन के प्रकरण में पारित आदेश के कारण याचिकाकर्ता की सहायता नहीं कर पा रहे
युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री जयेश गुरनानी और पूर्व पार्षद श्री दिलीप कौशल की ओर से अधिवक्ता श्री विभोर खंडेलवाल द्वारा लगाई गई है याचिका
इंदौर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने आगामी निकाय चुनाव हेतु प्रदेश की 317 नगरीय निकायों में अजा/अजजा वर्ग हेतु वार्ड आरक्षण करते समय शासन द्वारा रोटेशन प्रक्रिया का पालन न करने को गलत माना।
इंदौर कलेक्टर द्वारा वार्डों के आरक्षण की कार्रवाई के दौरान श्री जयेश गुरनानी द्वारा दिये गये हमदस्त नोटिस के बाद भी SC/ST के वार्डों का आरक्षण नही करने पर आरक्षण निरस्त कर रोटेशन प्रक्रिया से करने को लेकर लगाई थी याचिका।
याचिकाकर्ता द्वारा बताया गया कि माननीय उच्च न्यायालय इंदौर ने उनकी याचिका पर अंतिम निर्णय दिनांक 10 जनवरी 2022 को पारित कर इंदौर नगर निगम के 85 वार्डों के आरक्षण को समाप्त कर आरक्षण की कार्रवाई उच्च न्यायालय इंदौर द्वारा आदेश दिनांक 10 जनवरी 2022 को अंतिम आदेश से समाप्त किया था और आरक्षण माननीय सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ द्वारा के कृष्णमूर्ति विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया में निर्धारित की गई रोटेशन पद्धति से करने के निर्देश दिये थे जिसका पालन मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश की 317 नगरीय निकायों में नही करते हुये दिनांक 25 मई को आरक्षण की करवाई रोटेशन पद्धति नही की गई थी
श्री गुरनानी एवं श्री कौशल के अभिभाषक श्री विभोर खंडेलवाल ने माननीय न्यायालय के समक्ष पैरवी करते हुए बताया कि चुनाव को समय पर कराने तथा संवैधानिक रूप से कराने का निवेदन भी न्यायालय से किया है परंतु मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वार्डो के आरक्षण को लेकर की गई त्रुटि के कारण आरक्षण निरस्त करने तथा मतदान की निर्धारित दिनांक से पूर्व सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित रोटेशन पदत्ति से पूनः आरक्षण कर चुनाव कराने के लिए याचिका दायर कि गयी थी।
आज माननीय न्यायालय ने अंतिम निर्णय सुनाते हुए यह कहा के याचिकाकर्ता की मदद इसलिए नहीं की जा सकती क्योंकि माननीय उच्चतम न्यायालय ने सुरेश महाजन के प्रकरण में चुनाव शीघ्र रूप से कराने के आदेश दिए हैं और इस समय आरक्षण प्रक्रिया को समाप्त करना चुनाव में हस्तक्षेप करने योग्य होगा। माननीय न्यायालय ने राज्य सरकार पर नाराजगी जताते हुए यह कहां के राज्य सरकार ने माननीय न्यायालय द्वारा पारित वार्डो के आरक्षण में रोटेशन किए जाने के आदेश का पालन करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जिसके कारण आज यह स्थिति उत्पन्न हुई है।