आज यानी आठ अप्रैल को भारत के प्रसिद्ध उपन्यासकार ‘महर्षि’ बंकिम चंद्र चटर्जी की 128वीं पुण्यतिथि है। इस विशेष दिन पर फिल्म निर्माता राम कमल मुखर्जी और जी स्टूडियोज के पूर्व प्रमुख सुजॉय कुट्टी ने ‘के वी विजयेंद्र प्रसाद’ के साथ फिल्म के लिए कॉनट्रैक्ट साइन किया।
फिर से चलेगा ‘आनंदमठ’ का जादू?
इस प्रोजेक्ट के बारे में बात करते हुए के वी विजयेंद्र प्रसाद ने बताया कि “जब सुजॉय ने आनंदमठ के लिए मुझे अप्रोच किया, तो मैं थोड़ा अचंभित रह गया था। मैंने कई साल पहले नॉवल पढ़ा था, और सच कहूं तो मुझे नहीं लगा कि आज की पीढ़ी इस विषय से जुड़ पाएगी।
लेकिन जब मैं राम कमल से मिला और उन्होंने आनंदमठ पर अपनी सोच मुझे बताई, तो मुझे उपन्यास पर एक अलग दृष्टिकोण मिला। उनके हिसाब से यह कहानी लोगों से कनेक्ट होने वाली दिखाई पड़ रही थी।
कुछ मीटिंग्स के बाद, अब मैं इस विषय पर पूरी तरह से नए दृष्टिकोण के साथ काम करने के लिए उत्साहित हूं। आनंदमठ के जादू को फिर से लोगों के सामने रखना मेरे लिए एक बहुत बड़ा चैलेंज होगा।”
क्लासिक फिल्मों पर हो रहा काम
जी स्टूडियो के पूर्व प्रमुख सुजॉय कुट्टी कहते हैं, “मुझे खुशी है कि हम सिनेमा जगत के लोग क्लासिक्स पर फिर से विचार कर रहे हैं। मैं वंदे मातरम के जादू को पर्दे पर फिर से बनाने के लिए उत्साहित हूं।
मैंने पहले भी मणिकर्णिका में विजयेंद्र सर के साथ काम किया है और उनके साथ एक-दो और प्रोजेक्ट्स पर भी काम किया है। जब राम कमल ने ‘1770 एक संग्राम’ के लिए मुझसे संपर्क किया, तो मैंने तुरंत विजयेंद्र सर के बारे में सोचा।
मुझे खुशी है कि हमारे पास शैलेंद्र कुमार और सूरज शर्मा जैसे युवा निर्माता हैं, जो मानते हैं कि फिल्म के लिए सबसे जरूरी पटकथा होती है। एक बार, जब हम अपनी पठकथा के साथ तैयार हो जाते हैं, तब हमें फिल्म की स्टार कास्ट के बारे में सोचना चाहिए।”
‘1770- एक संग्राम’ है ड्रीम प्रोजेक्ट
फिल्म निर्माता और लेखक राम कमल मुखर्जी कहते हैं, “यह मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट है। मैं इंडिया की सबसे प्रतिष्ठित रचनात्मक टीम के साथ काम करूंगा और इस बात का पूरा ध्यान रखूंगा कि दर्शकों को यह फिल्म पसंद आए।
मुझे लगता है कि आनंदमठ की कहानी बताने का यह सही समय है। यह संन्यासियों की कहानी है, जिन्होंने ब्रिटिश राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी और आजादी के बीज बोए थे। मुझे लगा कि इस कहानी को एक अलग पैमाने पर फिर से बनाया जा सकता है।”