कांग्रेस के 92 साल के वरिष्ठ नेता मोती लाल वोरा, 78 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे, 77 साल की अंबिका सोनी, 71 साल के गुलाम नबी आजाद, 69 के लुइजिनियो फ्लेरियो जैसे वफादारों की कांग्रेस के संगठन पद की जिम्मेदारी से छुट्टी हो गई है। उनके स्थान पर कांग्रेस पार्टी ने नए वफादारों को महासचिव और राज्य का प्रभारी बनाकर संगठन में बड़े बदलाव का संदेश देना शुरू कर दिया है। नए संदेश में नए युवा वफादारों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और जगत प्रकाश नड्डा की भाजपा को राजनीतिक चुनौती देना चाह रही है। अब देखना है नए वफादार कांग्रेस को कितना सजा पाते हैं।
बूढ़े कांग्रेसी नेताओं को सांगठनिक कामकाज से थोड़ा आराम :- पूर्व रक्षा मंत्री 79 साल के एके एंटनी, 71 साल के अहमद पटेल, 60 के मुकुल वासनिक, 57 के केसी वेणुगोपाल और 52 साल के युवा रणदीप सुरजेवाला को नई और ताकतवर कमान मिली है। ये कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को उनके कामकाज में सहयोग देंगे। कुल मिलाकर पार्टी ने बूढ़े कांग्रेसी नेताओं को सांगठनिक कामकाज से थोड़ा आराम देकर कुछ उनसे उम्र में कुछ कम वफादारों को जगह दे दी है। इसमें राहुल गांधी के प्रिय रणदीप सुरजेवाला को उनकी मेहनत, वाकपटुता और कौशल का ईनाम दिया है, तो केसी वेणुगोपाल की प्रबंधन कला को खास जगह मिली है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सलाहकारों की टीम में मुकुल वासनिक, अंबिका सोनी कद बना हुआ है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक संतुलन बनाया है। कांग्रेस कार्यसमिति, पार्टी संगठन के पद, राज्यों के प्रभारी की जिम्मेदारी को लेकर उन्होंने एक सकारात्मक सोच से प्रयास किया है। कुछ वरिष्ठ नेताओं को महासचिव के पद से मुक्त किया है, तो कुछ नए लोगों को जगह दी है। अधिक से अधिक युवा नेताओं को राज्यों के प्रभार सौंपे हैं। ताकि सांगठनिक कामकाज को बेहतर तरीके से आगे बढ़ाया जा सके। सूत्र का कहना है कि 65-70 साल से अधिक उताओं को वैसे भी राज्यों के प्रभार जैसी जिम्मेदारी से मुक्त कर देना बेहतर है। उनके अनुभव का लाभ लेने के लिए पार्टी को उन्हें सलाहकार की टीम ही रखना चाहिए।
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