MP News in Hindi। मध्य प्रदेश के 38 जिला सहकारी बैंक में 11 जिला सहकारी बैंक रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार रेड जोन में आ गए हैं। कर्ज की तुलना में इन बैंकों की परिसंपत्ति 9 फ़ीसदी से भी कम है।
इसी तरह 12 जिला सहकारी बैंक भारी घाटे में चल रहे हैं। 2019-20 में बैंकों का घाटा 4844 करोड रुपए पहुंच गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 2 लाख तक के किसानों के ऋण माफी की घोषणा की थी। उनकी सरकार अल्प समय में गिर जाने के बाद नई सरकार ने किसानों को कर्ज माफी नहीं दी।
जिसके परिणाम स्वरुप किसानों के ऊपर ब्याज का भारी बोझ बढ़ गया है। कर्ज माफी नहीं होने से बैंकों और किसानों की आर्थिक स्थिति बदहाल बनी हुई है।
कर्ज माफी की आशा में वह किसान जो 100000 से लेकर 200000 रूपये की सीमा के बीच हैं। वह किसान अपना ऋण चुकता नहीं कर रहे हैं। जिसके कारण मध्यप्रदेश के सहकारी बैंकों की आर्थिक हालत काफी खराब है।
केंद्र सरकार नाबार्ड के जरिए सभी जिला सहकारी बैंकों एवं सहकारी समितियों को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए कार्यक्रम बनाया है। इसमें केंद्र सरकार 60 फ़ीसदी राशि अनुदान के रूप में बैंकों और समितियों को देगी। शेष 40 फ़ीसदी राशि मध्य प्रदेश को खर्च करनी होगी।
बैंकों की केंद्रीय संस्था रिफाइनेंस के जरिए सहकारी बैंक और समितियों को किसानों के लिए जो ऋण उपलब्ध कराती है। उसमें 1.50 ब्याज अनुदान केंद्र सरकार देती है। जो किसान समय पर पैसा नहीं चुका पाते हैं। बैंकों द्वारा उन किसानो के ऊपर 10 फ़ीसदी ब्याज, दंड ब्याज, और जुर्माना सहकारी समितियां वसूल करती हैँ।
जिसके, कारण किसानों के ऊपर ब्याज का भारी बोझ बढ़ जाता है। वह कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं रह पाते हैं। फल- स्वरुप सहकारी समितियों और जिला सहकारी बैंकों की हालत हमेशा बदहाल बनी रहती है।