महान धावक मिल्खा सिंह ने शुक्रवार रात अंतिम सांस ली. वह 91 साल के थे कोविड-19 के खिलाफ एक मजबूत लड़ाई के बाद विजेता के रूप में सामने आए थे. बुधवार को उनका कोरोना टेस्ट नेगेटिव आया था. मिल्खा सिंह को चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर अस्पताल के आईसीयू भर्ती कराया गया था. मिल्खा सिंह परिवार ने एक बयान जारी कर इस महान धावक के निधन की पुष्टि की. पूर्व एथलीट, जिसे फ्लाइंग सिख नाम से भी माना जाता है, को एक सप्ताह तक मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में इलाज के बाद ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट के बाद 3 जून को पीजीआईएमईआर में भर्ती कराया गया था.
मिल्खा सिंह ने एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता में चार बार स्वर्ण पदक जीता है 1958 के राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता था. हालांकि 1960 के रोम ओलंपिक के 400 मीटर फाइनल में उनकी एपिक रेस के लिए याद किया जाता है. उन्होंने 1956 1964 के ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है उन्हें 1959 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. 13 जून को ही मिल्खा सिंह की पत्नी निर्मल कौर का कोरोना के कारण निधन हो गया था. मिल्खा सिंह के परिवार में तीन बेटियां डॉ मोना सिंह, अलीजा ग्रोवर, सोनिया सांवल्का बेटा जीव मिल्खा सिंह हैं. गोल्फर जीव, जो 14 बार के अंतरराष्ट्रीय विजेता हैं, भी अपने पिता की तरह पद्मश्री पुरस्कार विजेता हैं.
मिल्खा सिंह से पहले उनके जैसा कोई नहीं आया. मिल्खा सिंह के बाद भी अब तक उनके जैसा कोई नहीं आया. मिल्खा सिंह का जलवा करीब दस साल तक चला.
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इस दौरान भारत में उनके जैसा कोई भी नहीं रहा. मिल्खा सिंह ने कॉमनवेल्थ गेम्स में एक एशियन गेम्स में चार गोल्ड देश के लिए जीते. हालांकि मिल्खा सिंह भारत के लिए ओलंपिक में कोई पदक नहीं जीत पाए. एक बार वे इसे चंद कदम दूर रह गए थे. हालांकि उसके बाद से आज तक कोई वहां तक भी नहीं पहुंच पाया, जहां मिल्खा सिंह पहुंचने में कामयाब हो गए थे. साल 1958 में कार्डिफ में कॉमनवेल्थ खेल हुए थे, उसमें मिल्खा सिंह ने 400 मीटर की रेस में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता. इसी साल यानी साल 1958 में ही एशियाई खेलों में भी मिल्खा सिंह खूब दौड़े जमकर दौड़े. मिल्खा सिंह ने जापान में खेले गए एशियन गेम्स में 200 मीटर 400 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक अपने नाम किया. यानी दोनों दौड़ों में वे पहले नंबर पर रहे.
इसके बाद आया साल 1962. उस साल जकार्ता में एशियाई खेल हुए. साल 1958 की तरह ही मिल्खा सिंह का जलवा इस भी चला. मिल्खा सिंह ने 200 मीटर की रेस में गोल्ड अपने नाम किया 400 मीटर की रिले रेस में भी स्वर्ण पदक अपने नाम किया. हालांकि मिल्खा सिंह कभी भी ओलंपिक में कोई पदक नहीं जीत पाए. इसका अफसोस मिल्खा सिंह को भी रहेगा. ़1960 ओलंपिक में मिल्खा सिंह ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था. उस साल 400 मीटर की रेस में मिल्खा सिंह चौथे स्थान पर रहे थे, यानी मेडल से बस चंद कदम दूर वे रह गए थे. अगर वे तीसरे स्थान पर भी आ जाते तो कम से कम कांस्य पदक तो भारत का हो ही जाता. हालांकि उसके बाद चौथे स्थान पर भी कोई नहीं पहुंच पाया है. मिल्खा सिंह पर बनी फिल्म भाग मिल्खा भाग से आज की युवा पीढ़ी ने भी मिल्खा सिंह के बारे में बारीकी से जाना. इस फिल्म में मिल्खा सिंह का किरदार फरहान अख्तर ने निभाया था लोगों ने इस खूब पसंद भी किया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘मिल्खा सिंह जी के निधन से हमने एक महान खिलाड़ी को खो दिया, जिनका असंख्य भारतीयों के हृदय में विशेष स्थान था। अपने प्रेरक व्यक्तित्व से वे लाखों के चहेते थे। मैं उनके निधन से आहत हूं।’ उन्होंने आगे लिखा, ‘मैने कुछ दिन पहले ही मिल्खा सिंह जी से बात की थी। मुझे नहीं पता था कि यह हमारी आखिरी बात होगी। उनके परिवार और दुनिया भर में उनके प्रशंसकों को मेरी संवेदनाएं।
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