ऑनलाइन लाइसेंस बनाने में एजेंट ही दे रहे परीक्षा
Indore News. केंद्र हो राज्य उन अधिकारियों पर भरोसा कर लेता है जो AC युक्त बंद कमरे में बैठकर ऐसे निर्णय ले लेते हैं, जिससे जनता को सुविधा कम परेशानी ज्यादा होती है। यहां तक कि जेब भी खाली होने लगती है। इसका प्रमाण लाइसेंस ऑनलाइन सिस्टम होने से एजेंटों की घर पहुंच सेवा शुरू हो गई है। कई एजेंटों को काम भी मिल गया है और इसमें कोई रिस्क भी नहीं है। जबकि सरकार समझ रही थी कि सब कुछ ठीक होगा वह आवेदक आरटीओ कार्यालय जाने से बच जाएगा, लेकिन अब जितने भी लर्निंग बन रहे हैं वह उनके बन रहे हैं जिन्हें यातायात नियम से कोई वास्ता ही नहीं है न हीं उन्हें कुछ आता है। क्योंकि सभी काम एजेंट द्वारा ही किया जा रहा है। पहले तो आवेदक को पढ़ कर और याद करके आना पड़ता था, फिर टेबलेट के माध्यम से परीक्षा होती थी। उसमें कई आवेदक फेल भी हो जाते थे। आरटीओ के एजेंट जो पहले आवेदकों को आरटीओ कार्यालय बुलाकर सेटिंग से टेस्ट में पास कराने में मदद करते थे, वे आवेदकों के घर जाकर उनका टेस्ट देकर बात करवा रहे हैं। लाइसेंस की इस घर पहुंच सेवा से आवेदक तो खुश है, लेकिन इसमें परिवहन विभाग का ट्रैफिक नियमों की जानकारी देने का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है।
आरटीओ में लर्निंग लाइसेंस बनवाने की फीस 471 रु है। पहले 71 रु कम थी। ऑनलाइन पेमेंट में आवेदक को यह फीस ऑनलाइन ट्रांसफर करना होती है, लेकिन एजेंट आवेदकों को जो घर पहुंच सेवा में पास करवाने तक की गारंटी दे रहे हैं, उसके लिए 1000 रु अपना मेहनताना ले रहे हैं। आवेदक तो बहुत खुश हैं क्योंकि उन्हें आरटीओ के चक्कर नहीं लगाने पड़ रहे हैं और फेल होने का डर भी नहीं है। क्योंकि फैल होने पर दोबारा फीस जमा कराना और फिर कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ते थे।
क्या कहते हैं पूर्व परिवहन उपायुक्त
इस संबंध में पूर्व परिवहन उपायुक्त संजय सोनी का कहना है कि नई व्यवस्था बहुत ही अच्छी है, लेकिन इसमें सही आवेदक की टेस्ट दे, इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए। आरटीओ में होने वाले टेस्ट में जो टेबलेट के कैमरे में आवेदक के रिकॉर्ड तक की सुविधा होती थी, वैसे ही ऑनलाइन टेस्ट में भी वेब कैमरा मोबाइल के फ्रंट कैमरे की मदद से आवेदक से टेस्ट लिया जा सकता है।