डीसीपी क्राइम ब्रांच निमिष अग्रवाल ने मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर कार्रवाई करने की बात कही। उन्होंने बताया कि दो आरोपी उल्लू को बेचने की फिराक में घूम रहे थे।
हालांकि वन विभाग ने एक ही आरोपी की सुपुर्दगी की बात कही है। आरोपी का नाम मुकेश जामरे (सागरपेशा तहसील महू ) है। अब इस मामले में आरोपियों से पूछताछ कर उल्लू खरीदने वाली गैंग तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है।
उल्लू की कीमत डेढ़ करोड़ रुपए, वजन से बिकता है
उल्लू को दीपावली पर महंगे दाम पर बेचने के लिए घर में ही वजन बढ़ाया जा रहा था। आरोपी ने बताया की उल्लू कहीं से उसके खेत में आ गया था।
जिसके बाद उसने उसे पकड़ लिया। उसे घर में चूहा, मुर्गा खिलाकर वजन बढ़ाया जा रहा था। उल्लू का वजन करीब 4 किलो तक होना चाहिए, इससे उसकी कीमत एक से डेढ़ करोड़ रुपए तक मिल जाती है।
कछुए की भी तस्करी
तंत्र क्रिया करने वाले कथित तांत्रिक 4 किलो वजन का उल्लू बुलवाते हैं। निमाड़ अंचल में तंत्र क्रिया के नाम पर 20 नाखून वाले कछुए की भी तस्करी होती है। सामान्यत: कछुए के चार पैरों में 12 नाखून होते हैं। कुछ लोग सर्जरी कर नाखून लगा देते हैं।
उल्लू के शिकार या तस्करी पर तीन साल की जेल
उल्लू विलुप्त प्रजाति के पक्षियों की श्रेणी में है। भारतीय वन्य जीव अधिनियम 1972 की अनुसूची-एक के तहत उल्लू संरक्षित है। इसकी तस्करी या शिकार करने वाले को कम से कम 3 साल जेल की सजा का प्रावधान है।