International News। ब्रिटेन सरकार द्वारा धर्म या आस्था की स्वतंत्रता (एफओआरबी) को बढ़ावा देने के लिए लंदन में एक वैश्विक शिखर सम्मेलन की मंगलवार को शुरुआत हुई।
इसके शिखर सम्मेलन की शुरुआत में यूके की विदेश सचिव ने दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर बढ़ रहे खतरों के क्रम में हिंदुओं के उत्पीड़न के मुद्दे पर भी सवाल उठाए।
लंदन के क्वीन एलिजाबेथ II सेंटर में आयोजित सम्मेलन में भाषण के दौरान यूके की विदेश सचिव लिज़ ट्रस ने कहा कि धर्म या आस्था की स्वतंत्रता एक मौलिक स्वतंत्रता है जैसे कि स्वतंत्र भाषण या लोकतंत्र, लेकिन दुनिया की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी उन देशों में रहती है जहां धर्म या आस्था की स्वतंत्रता खतरे में है।
शिखर सम्मेलन की मेजबानी करते हुए यूके ने सदियों से यहूदी समुदाय के भयावह उत्पीड़न, शिनजियांग क्षेत्र में चीन सरकार द्वारा उइगर मुसलमानों को निशाना बनाने, नाइजीरिया में ईसाइयों के उत्पीड़न और अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा का भी जिक्र किया।
यूके ने कहा कि ये चंद उदाहरण हैं। आगे कहा गया कि हम जानते हैं कि हिंदुओं, मानवतावादियों और कई अन्य लोगों पर उनकी आस्था और विश्वास के लिए मुकदमा चलाया जाता है और उन्हें सताया जाता है।
इस दौरान उन्होंने रूस-यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर रूसी सैनिकों द्वारा किए गए जघन्य युद्ध अपराधों का आरोप लगाया।
यूके की विदेश सचिव लिज़ ट्रस ने कहा कि निर्दोष नागरिकों को रूस की अंधाधुंध बमबारी से बचने के लिए पूजा स्थलों में शरण लेनी पड़ रही है। चर्च और मस्जिद मलबे में दब गए हैं।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रिंस चार्ल्स ने कहा कि एक ऐसा समाज होना चाहिए, जहां अंतर का सम्मान किया जाता है, जहां यह स्वीकार किया जाता है कि सभी को एक जैसा सोचने की जरूरत नहीं है।
गौरतलब है कि पांच और छह जुलाई को दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में दुनिया भर के विभिन्न धार्मिक और गैर-धार्मिक समुदायों के बीच सम्मान को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक कार्रवाई को बढ़ावा दिया जाएगा।
इस आयोजन का मकसद अंतरराष्ट्रीय सरकारों और पंथ नेताओं को एक साथ लाना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर कोई सभी जगह अपने धर्म या आस्था का स्वतंत्र रूप से पालन कर सके। इसमें यूके भी धर्म या आस्था की स्वतंत्रता के संरक्षण और संवर्धन के लिए 200,000 पाउंड के नए समर्थन की घोषणा करेगा।
इससे जागरूकता अभियानों, सामुदायिक कार्यक्रमों और संघर्ष की रोकथाम का समर्थन करने के साथ-साथ धर्म या विश्वास के आधार पर भेदभाव का सामना करने वालों को सीधी सहायता प्रदान की जाएगी।
इस सम्मेलन में 100 देशों के 600 से अधिक सरकार और नागरिक समाज के नेता शामिल हुए हैं। इससे पहले अमेरिका और पोलैंड ने पिछले एफओआरबी कार्यक्रमों का आयोजन किया था।