Breaking | पत्रकारों से वर्षो कमाया, संकट आया तो निकाल बाहर किया |
देश के सबसे बड़े मीडिया ग्रुप इंडिया टुडे ने अपने दैनिक अखबार मेल टुडे को बंद करने की घोषणा कर दी! एक ही झटके में पचासों पत्रकार और अन्य अखबारकर्मी सड़क पर आ गए।
अपने मेल में अरुण पुरी का कहना है, इतने वर्षों में हमने आर्थिक मंदी और नोटबंदी भी देखी है। दुर्भाग्य से कोविड-19 महामारी ने पाठकों की प्राथमिकताओं को बदल दिया है।
लॉकडाउन के दौरान डिजिटल रूप में न्यूज का उपभोग बढ़ने से यह स्पष्ट है कि अखबारों का प्रिंट मीडियम पुनर्जीवित नहीं होगा। ऐसे में मैं बहुत अफसोस के साथ मेल टुडे के प्रिंट एडिशन को बंद होने की घोषणा कर रहा हूं। अपने वर्तमान स्वरूप में इस अखबार का आखिरी प्रिंट एडिशन रविवार, नौ अगस्त को पब्लिश होगा।
इससे पहले पत्रिका ने अपना मुम्बई एडिशन बंद कर दिया। कई सपने लेकर हिन्दी प्रदेशों से मुंबई गए युवा पत्रकार बेरंग वापस लौट रहे हैं। कभी ब्रिटिश म्यूजिक प्रेस की आधारशिला रखने वाली मैगजीन ‘क्यू’ (Q) का प्रकाशन 34 साल बाद बंद हो गई है।
इस मैगजीन का 28 जुलाई को प्रकाशित अंक अंतिम अंक था । मैगजीन के एडिटर टेड केसलर ने एक ट्वीट में कहा, ‘महामारी ने हमारे साथ जो बुरा किया, इससे ज्यादा उसके पास कुछ और करने के लिए नहीं था। बता दें कि मैगजीन का सर्कुलेशन, जोकि 2001 में 200,000 प्रति माह था। यह अपने पीक से घटकर 28,000 प्रति माह रह गया था।
‘मिड-डे’ (Mid- Day) अखबार ने एम्प्लॉयीज की छंटनी करने का निर्णय लिया है। इस बारे में अखबार की ओर से एम्प्लॉयीज के लिए एक नोटिस भी जारी किया गया है। अखबार की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है, ‘जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से गलाकाट प्रतियोगिता और पाठकों की संख्या में कमी से जूझ रहे हैं।
इससे हमें काफी नुकसान हो रहा है। इसके अलावा हम अपने एंप्लॉयीज को मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सैलरी दे रहे हैं। ऐसे में मार्केट में बने रहना हमारे लिए काफी मुश्किल हो रहा है।’ अखबार की ओर से यह भी कहा गया है, ‘मार्च 2020 से कोविड-19 महामारी ने देश-दुनिया को काफी प्रभावित किया है और तमाम बिजनेस इसकी वजह से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।
मार्च में किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण हमारी आर्थिक स्थिति भी काफी प्रभावित हुई है।’‘लॉकडाउन के बाद से अखबार का प्रॉडक्शन काफी घट गया है, क्योंकि विज्ञापन और पाठक काफी कम हो गए हैं। कोरोनावायरस के खौफ के कारण तमाम पाठक घरों पर अखबार नहीं मंगा रहे हैं।
पाठकों को घरों तक अखबार पहुंचाने के लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स और न्यूजपेपर सप्लाई करने वालों की भी कमी बनी हुई है।’ बीबीसी न्यूज़ हिंदी में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक काजल हिंदी अख़बार नवभारत टाइम्स में काम करती थीं और कुछ दिनों पहले अचानक उनसे इस्तीफ़ा माँग लिया गया है. नवभारत टाइम्स में वह अकेली नहीं हैं बल्कि सीनियर कॉपी एडिटर से लेकर एसोसिएट एडिटर स्तर तक के कई पत्रकारों से इस्तीफ़ा देने को कहा गया है.
संस्थान में दिल्ली-एनसीआर, लखनऊ और अन्य ब्यूरो से लोग निकाले गए हैं. सांध्य टाइम्स और ईटी हिंदी बंद हो गए हैं. इसके अलावा फ़ीचर पेज की टीम को भी मिला दिया गया है. इसी संस्थान के एक और पत्रकार ने बताया कि एक दिन संपादक और एचआर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करके कहा लॉकडाउन के कारण कंपनी नुक़सान में है और इसलिए आपकी सेवाएं ख़त्म की जा रही हैं. आप दो महीने का वेतन लीजिए और इस्तीफ़ा दे दीजिए.
मीडिया में नौकरी जाने की शुरुआत मार्च में लॉकडाउन के कुछ समय बाद ही हो गई थी. अलग-अलग संस्थानों से बड़ी संख्या में पत्रकारों को नौकरी से निकाला जाने लगा. ये सिलसिला अब तक जारी है. हाल ही में दैनिक हिंदी अख़बार ‘हिंदुस्तान’ का एक सप्लीमेंट ‘स्मार्ट’ बंद हुआ है. इस सप्लीमेंट में क़रीब 13 लोगों की टीम काम करती थी
जिनमें से आठ लोगों को कुछ दिनों पहले इस्तीफ़ा देने के लिए बोल दिया गया. हिंदी न्यूज़ वेबसाइट राजस्थान पत्रिका के नोएडा दफ़्तर सहित कुछ और ब्यूरो से भी लोगों को टर्मिनेशन लेटर दे दिया गया है. उन्हें जो पत्र मिला है उसमें दो या एक महीने का वेतन देने का भी ज़िक्र नहीं है. सिर्फ़ बक़ाया लेने के लिए कहा गया है.
इसी तरह हिंदुस्तान टाइम्स ग्रुप में भी पत्रकार से लेकर फ़ोटोग्राफ़र तक की नौकरियों पर संकट आ गया है. एचटी ग्रुप के ही सप्लीमेंट ‘मिंट’ और ‘ब्रंच’ से भी लोगों को इस्तीफ़ा देने के लिए कहा है. द क्विंट’ नाम की न्यूज़ वेबसाइट ने अपने 200 लोगों की टीम में से क़रीब 45 को ‘फ़र्लो’ यानी बिना वेतन की छुट्टियों पर जाने को कह दिया है.
दिल्ली-एनसीआर से चलने वाले न्यूज़ चैनल ‘न्यूज़ नेशन’ ने 16 लोगों की अंग्रेज़ी डिजिटल की पूरी टीम को नौकरी से निकाल दिया था. टाइम्स ग्रुप में ना सिर्फ़ लोग निकाले गए हैं बल्कि कई विभागों में छह महीनों के लिए वेतन में 10 से 30 प्रतिशत की कटौती भी गई है.
इसी तरह नेटवर्क18 में भी जिन लोगों का वेतन 7.5 लाख रुपये से अधिक है उनके वेतन में 10 प्रतिशत की कटौती हुई है.
… [Trackback]
[…] Find More on that Topic: sadbhawnapaati.com/breaking-news-on-print-media/ […]
I thoroughly enjoyed this piece! The insights provided were not only enlightening but also thought-provoking. Im eager to hear what others think about this. Click on my nickname if youd like to continue this discussion or explore related topics together!
… [Trackback]
[…] There you will find 55233 additional Information to that Topic: sadbhawnapaati.com/breaking-news-on-print-media/ […]
… [Trackback]
[…] Find More Information here on that Topic: sadbhawnapaati.com/breaking-news-on-print-media/ […]
… [Trackback]
[…] Find More Info here on that Topic: sadbhawnapaati.com/breaking-news-on-print-media/ […]
… [Trackback]
[…] Information on that Topic: sadbhawnapaati.com/breaking-news-on-print-media/ […]
… [Trackback]
[…] Find More Info here to that Topic: sadbhawnapaati.com/breaking-news-on-print-media/ […]
… [Trackback]
[…] There you will find 67346 additional Information on that Topic: sadbhawnapaati.com/breaking-news-on-print-media/ […]
… [Trackback]
[…] Read More on that Topic: sadbhawnapaati.com/breaking-news-on-print-media/ […]