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संपादकीय सदभावना पाती न्यूज़ – अच्छे नागरिक बनने की नींव

संपादकीय  – (अच्छे नागरिक बनने की नींव )

10 साल के होने से पहले जरूर सिखा दें ये गुण कौशल /हुनर (लेखक-विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन / ईएमएस)

जीवन में कुछ हुनर  होती हैं, जिसकी आदत बच्चों को बचपन से ही डाल देनी चाहिए। एक अच्छे माता पिता होने के नाते आप अपने 10 साल तक के बच्चे को यहां बताई जा रहीं जरूरी  जीवन में हुनर सिखा सकते हैं।

       जीवन कौशल जिसे लाइफ स्किल कहते हैं, विकास के साथ चलते हैं। ये लाइफ स्किल आपके बच्चे को जीवन में सफल होने में बहुत मदद करते हैं। इसलिए पैरेंट्स होने के नाते आपको अपने 10 साल तक के बच्चे को वो सभी स्किल्स की ट्रेनिंग देनी चाहिए, जो उसके लिए जरूरी है।

 स्किल्स ऐसी होनी चाहिए, जिसे वह अपने रूटीन में आसानी से शामिल कर सकें। बता दें कि बच्चे इन सभी कौशल को बचपन से ही सीख सकते हैं।

सामान्य भोजन तैयार करना सिखाएं 


एक मां होने के नाते, जब भी आप किचन में खाना बनाएं तो अपने बच्चे को अपने साथ मदद के लिए खड़ा करें। उसे चाकू या कांटे का इस्तेमाल करना बताएं।

     आप बच्चे को रसोई में खुद से तैयार की जाने वाले डेजर्ट, केक और स्मूदी बनाना सिखा सकती हैं। 5 साल और इससे ज्यादा वर्ष के बच्चों को सैंडविच और स्मूदी बनाने का तरीका सिखाएं।

जबकि 7 से 8 साल तक की उम्र का बच्चा मफिन्स, पिज्जा जैसे टोस्टर ओवन फेवरेट आजमा सकता है। 8-10 साल तक के बच्चे कप केक, ड्राय केक, कुकीज बेक करना यकीनन एन्जॉय करेंगे।

      कोरोना संक्रमण काल में जिसके पास यह हुनर /कौशल /सीख नहीं रही उन्हें लॉक डाउन के समय भोजन ,नाश्ता न मिलने से पराधीनता के कारण परेशां होना पड़ा था .जिनके पास सामग्री होने पर कौशल होने के कारण भोजन का आभाव नहीं सहन करना पड़ा .

वेब का से इस्तेमाल करना सिखाएं

    आजकल बच्चे पहले से ज्यादा समय स्क्रीन पर बिता रहे हैं। इसमें कुछ  नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है, ताकि वे डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रह सकें। इसलिए अपने बच्चे के लिए ऐसा पासवर्ड चुनें, जिसका अनुमान लगाना कठिन हो, इसे हमेशा निजी  रखें। बच्चों को सिखाएं कि केवल उन लोगों के साथ चैट करें, जिन्हें आप वास्तिवक जीवन में जानते हैं।

    कभी भी फेसबुक या इंस्टाग्राम जैसे अकाउंट्स पर अपने नंबर , पता और व्यक्तिगत जानकारी न दें। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चे को बताएं कि मुद्दा कोई भी हो, वे बेजिझक आपके पास आ सकते.आजकल व्हाट्सप्प /फेस बुक /मेस्सेंजर के माध्यम  से बहुत छलावा होता या किया जा रहा हैं जिससे भविष्य में बहुत परेशानी का सामना करना होता हैं या पड़ता हैं .

  कपड़े धोना सिखाएं

    आज भी कॉलेज जाने वाले ऐसे बहुत से टीन्स हैं, जिन्हें कपड़े कैसे धोते हैं, नहीं पता। अपने बच्चे को इन बच्चों में से एक न बनने दें।

जब बच्चे 6 या 7 साल के आसपास हो जाएं, तब पैरेंट्स होने के नाते आप उन्हें कपड़े धोने की ट्रेनिंग दे सकते हैं। अगर आप मशीन में कपड़े धोते हैं, तो उन्हें बताएं कि डिटर्जेंट का यूज कैसे करना है और मशीन का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए।

    पुराने समय में मशीन न होने से सभी को अपने हाथों से कपड़ा धोना पड़ता था और यह एक कला हैं . इससे आत्मविश्वास के साथ अपने हाथों से तैयार किये गए कपडे पहनने का अलग मजा होता हैं .

आजकल बिना क्रीज़ के कपडे पहनने  का चलन न होने से और कपडे भी ऐसे आ रहे हैं जो हमेशा ताज़गी देते हैं ,परन्तु यह कौशल सीखना अनिवार्य हैं .जब बच्चे हॉस्टल या नौकरी   में अकेले  रहते हैं तब असुविधा महसूस करते हैं .

 घाव का इलाज करना सिखाएं   

अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा घबराए नहीं, तो उसे घाव का इलाज करना सिखाएं। उसे बताएं कि यदि कट या खरोंच से खून बह रहा है, तो एक साफ कपड़े से उस क्षेत्र को तब तक दबाए रखें , जब तक की ब्लीडिंग रूक न जाए।

कारण चोटों में पट्टी बांधना जरुरी हैं उस कारण संक्रमण से बच सकते हैं और उसमे क्या क्या सावधानिया रखनी चाहिए यह जानकारी होना भी जरुरी हैं .

गिफ्ट पैक करने की सीख दें

   बच्चों को गिफ्ट देना जितना पसंद होता है उसे पैक करने में भी उन्हें बेहद मजा आता है।

इसलिए अगर आपका बच्चा 10 साल की उम्र तक का है, तो आप उसे गिफ्ट पैक  करना सिखा दीजिए। अगर बच्चा 3-5 साल का है, तो वह गिफ्ट के लिए बॉक्स ढूंढने और गिफ्ट के चारों तरफ पेपर लपेटने में आपकी मदद  कर सकता है।

गिफ्ट पैक करना बहुत अच्छी कला हैं इससे प्रसन्नता के साथ ख़ुशी का अहसास होता हैं .

 व्यवस्थित जीवन शैली अपनाने की प्रेरणा —

बच्चों को जब समझ विकसित होने लगे तब उन्हें स्वयं की सामग्री यानी किताबें कापियां ,अपने कपडे ,अपने मनोरंजन का सामान ,अपनी शौक की सामग्री कैसे अपने आलमारी में या स्थान में रखे यह सिखाना चाहिए जिससे उनमे सामन की कदर /इज़्ज़त करना आएगा और सुव्यस्थित होने से सुगमता से सामग्री मिल सके .उन्हें धीरे धीरे अपने डाक्यूमेंट्स जैसे मार्क्स शीट ,फोटो , एल्बम की सुरक्षा की आदत लाभकारी होती हैं .

दूसरों को आदर देना —

यह विनम्रता की निशानी हैं .अपने से बड़े जो पूजनीय होते हैं उन्हें आदर सत्कार की परम्परा सिखाने  और सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए .आपके घर कोई आये तो उसे पानी कैसे दे भी सिखाना चाहिए .विन्रमता से बहुत शिक्षाएं भी  मिलती हैं

पढ़ने की आदत डालने को प्रेरित करना —

       बच्चे कच्ची मिटटी के तरह होते हैं उनको जैसा ढालो वैसे ढल जाते हैं .इसी उम्र में इनका रुझान यदि पढ़ने लिखने की और होने से उनकी प्रतिभा में निखार आने लगता हैं .

उनको आभासी दुनिया में से बाहर निकाल कर वास्तविक दुनिया का अहसास कराना बहुत जरुरी हैं .आगे चलकर लेखक कवि बनने की प्रतिभा आने लगती हैं .
इस प्रकार माँ बाप ,शिक्षक समाज यार दोस्तों से बहुत कुछ सीखा जा सकता हैं पर आईईसी बुनयादी आदतें सिखाना जरुरी हैं  जो उनके लिए भविष्य की नींव बनकर अच्छे नागरिक बनेंगे .

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