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नाराज नेताओं को साधा, जूनियर्स को बाहर रखकर भूल सुधार का संदेश दियादिग्विजय सिंह समर्थक माने जाने वाले कांतिलाल भूरिया को कमेटी में स्थान दिया गया है जबकि उन्हें कमलनाथ सरकार के समय मंत्री पद से वंचित रखा गया था। वे केंद्रीय मंत्री तक रह चुके हैं लेकिन कमलनाथ सरकार ने उन्हें मंत्री लायक नहीं समझा था।
अजय सिंह ने जिम्मेदारी मांग ली थीजूनियर्स को बाहर रखा
नाराज नेताओं को साधा, जूनियर्स को बाहर रखकर भूल सुधार का संदेश दिया
मध्य प्रदेश में कांग्रेस कमेटी ने गुरुवार को 22 नेताओं की जो राजनीतिक मामलों की कमेटी बनाई है, उसके माध्यम से कई नाराज नेताओं को साधने की कोशिश के साथ कुछ नेताओं के लिए संदेश भी है।
कमलनाथ सरकार के समय सीनियर-जूनियर का जो अंतर समाप्त हुआ था, उसकी भूल सुधार का संदेश भी इस कमेटी के गठन में दिखाई दे रहा है।
कमेटी में दिग्विजय सिंह से लेकर केपी सिंह जैसे नाम वे हैं जो किसी न किसी वजह से नाराज थे और जयवर्धन सिंह-सुखदेव पांसे जैसे नेता भी दिखाई नहीं दे रहे हैं जो मंत्री बनने पर वरिष्ठ नेताओ की बराबरी पर खड़े हो गए थे। कमेटी के सदस्यों के नाम देखने के बाद ऐसा ही कुछ संदेश अब तक पहुंचा है।
मध्य प्रदेश की राजनीतिक मामलों की कमेटी में अध्यक्ष के बाद पहला नाम दिग्विजय सिंह का है जो सरकार गिरने के बाद से अलग-थलग पड़ते नजर आ रहे थे।
उनकी नाराजगी का अहसास उस समय दिखाई दे गया था जब वे धरने पर बैठे थे और कमलनाथ वहां पहुंच गए थे। वहां उन्होंने यह कह दिया था कि अब क्या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से समय लेने के लिए भी आपसे पूछना पड़ेगा। कुछ बैठकों में उन्हें नहीं बुलाया गया था।
दिग्विजय सिंह समर्थक माने जाने वाले कांतिलाल भूरिया को कमेटी में स्थान दिया गया है जबकि उन्हें कमलनाथ सरकार के समय मंत्री पद से वंचित रखा गया था। वे केंद्रीय मंत्री तक रह चुके हैं लेकिन कमलनाथ सरकार ने उन्हें मंत्री लायक नहीं समझा था।
अजय सिंह ने जिम्मेदारी मांग ली थी
विंध्य के दबंग नेता पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कुछ समय पहले ही अपनी पीड़ा एक मंच पर बयां की है। उन्होंने सतना में एक नेता की ओर इशारा करते हुए कह दिया था कि आप बोल दीजिए कि हमें भी कुछ जिम्मेदारी दे दीजिए तो सक्रिय हो जाएंगे।
वहीं, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव भी उपचुनाव में टिकट को लेकर कुछ समय तक नाराज रहे और बाद में कुछ मीटिंग में भी वह नहीं पहुंचे।
वरिष्ठता की नजरअंदाजगी से खिन्न थे कुछ नेता
कांग्रेस में वरिष्ठ विधायक केपी सिंह कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने के समय से नाराज चल रहे हैं और सरकार गिरने के बाद से वे सक्रिय दिखाई नहीं दे रहे हैं।
सरकार गिरने के बाद नेता प्रतिपक्ष के प्रबल दावेदार माने जाने के बाद भी अब तक उससे वंचित डॉ. गोविंद सिंह को कमेटी में प्रमुख हिस्सा बनाकर खुश करने का प्रयास किया गया है। इसी तरह जी 23 के सदस्य विवेक तन्खा को भी कमेटी में शामिल किया गया है।
जूनियर्स को बाहर रखा
राजनीतिक मामलों के लिए बनाई गई 22 सदस्यों की कमेटी में जूनियर्स को बाहर रखा गया है जबकि कमलनाथ सरकार के समय सीनियर-जूनियर के बीच का अंतर खत्म कर दिया गया था।
कमेटी में दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह, दिग्विजय समर्थक पीसी शर्मा, कमलनाथ समर्थक सुखदेव पांसे, तरुण भनोत, अरुण यादव के भाई सचिन यादव और हर्ष यादव जैसे पूर्व मंत्रियों को बाहर रखा गया है।