मध्य प्रदेश की सत्ता का भविष्य तय करने वाली 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, लेकिन ऐसा पहली बार है, जब 14 मंत्री उपचुनाव लड़ रहे हैं. नियमों के अनुसार, मंत्री तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत का कार्यकाल 20 अक्टूबर यानी मंगलवार को समाप्त हो रहा है. ऐसे में कल से ये दोनों बगैर मंत्री पद के चुनावी मैदान में होंगे. सांवेर से भाजपा प्रत्याशी सिलावट और सुरखी से राजपूत के इस्तीफे के साथ ही उनकी सभी सुविधाएं छिन जाएंगी. ऐसे में वे अब कांग्रेस प्रत्याशियों जैसे सामान्य उम्मीदवार होंगे. दरअसल, सिलावट और राजपूत ने कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद 21 अप्रैल को भाजपा की सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी. सिलावट सांवेर से हैं चुनाव मैदान में नियमों के अनुसार, कोई भी ऐसा व्यक्ति 6 माह से ज्यादा समय मंत्री नहीं रह सकता है, जो विधानसभा का सदस्य न हो. ऐसे में 21 अक्टूबर को दोनों मंत्रियों की यह समय-सीमा समाप्त हो जाएगी. इस समय-सीमा में उपचुनाव की प्रक्रिया भी पूरी नहीं होगी. गोविंद सिंह राजपूत सागर जिले की सुरखी और तुलसी सिलावट इंदौर जिले की सांवेर से अपनी परंपरागत सीटों से उप चुनाव लड़ रहे हैं.
10 मार्च को 22 विधायकों ने दिया था इस्तीफा सिंधिया के समर्थन में 10 मार्च को 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके कारण कमलनाथ सरकार गिर गई थी और चौथी बार शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. शिवराज ने 28 दिन बाद 21 अप्रैल को मंत्रिमंडल का गठन किया था, इसमें सिंधिया खेमे के तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई थी. शिवराज सरकार के इन 14 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर कांग्रेस के 25 पूर्व विधायकों के इस्तीफे से सरकार अल्पमत में आ गई थी और कमलनाथ सरकार गिर गई. बाद में ये सभी भाजपा में शामिल हो गए, तब इनमें से भाजपा ने 14 को मंत्री पद से नवाजा. इन उप चुनावों में इन बगैर विधायकी के मंत्री बने मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. 14 मंत्रियों में इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट, प्रभुराम चौधरी, हरदीप सिंह डंग, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, बिसाहूलाल सिंह, एदल सिंह कंसाना, बृजेंद्र सिंह यादव, सुरेश धाकड़, ओपीएस भदौरिया और गिर्राज दंडोतिया शामिल हैं. ये हैं नियम विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह का कहना है कि प्रावधान यही है कि 6 माह तक ऐसे व्यक्ति को मंत्रिमंडल का सदस्य रखा जा सकता है, जो विधानसभा का सदस्य नहीं है. इस अवधि में उसका विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना जरूरी है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो निर्धारित अवधि के बाद संबंधित व्यक्ति अपने आप ही मंत्री पद से हट जाता है. 21 अक्टूबर को सिलावट और राजपूत को मंत्री बने 6 माह हो जाएंगे. आदर्श आचार संहिता प्रभावी हो चुकी है और अब मंत्रिमंडल का विस्तार भी नहीं हो सकता है. इसलिए दोनों नेताओं को मंत्री पद से हटना पड़ेगा. मंत्री पद जाते ही छिन जाएंगी ये सुविधाएं वेतन, मंत्री को मिलने वाले 8 तरह के भत्ते और मानदेय. सरकारी बंगला दफ्तर और स्टाफ. 1000 किमी का डीजल/पेट्रोल. 15 हजार रुपए मकान किराया. 3000 सत्कार भत्ता. ड्राइवर और गनमैन. पीए और ओएसडी.
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