कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन आंवला अथवा अक्षय नवमी को मनाया जाता है। कहा जाता हैं कि इस दिन से द्वापर युग की शुरुआत हुई थी। द्वापर में प्रभु श्री विष्णु के आठवें अवतार प्रभु श्रीकृष्ण ने धरती पर जन्म लिया था। इतना ही नहीं प्रभु श्रीकृष्ण ने भी आंवला नवमी के दिन ही वृंदावन-गोकुल की गलियों को छोड़कर मथुरा प्रस्थान किया था। यही वजह है कि आंवला नवमी के दिन से वृंदावन परिक्रमा भी शुरू होती है।
आंवला नवमी की पूजा विधि:-
अक्षय नवमी के दिन आंवला के पेड़ की पूजा की जाती है। पेड़ की हल्दी कुमकुम आदि से पूजा करके उसमें जल तथा कच्चा दूध चढ़ाएं। तत्पश्चात, आंवले के वृक्ष की परिक्रमा करते हुए तने में कच्चा सूत या मौली आठ बार लपेटी जाती है। पूजा के पश्चात् इसकी कथा पढ़ी एवं सुनी जाती है। पूजा समाप्त होने के पश्चात् परिवार एवं दोस्तों आदि के साथ पेड़ के नीचे बैठकर भोजन किए जाने की अहमियत है।