हनुमान अष्टमी पर हनुमान मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही भजन कीर्तन आदि का आयोजन भी किया जाता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस विधि से करें पूजा
हनुमानजी का पूजन करते समय सबसे पहले कंबल या ऊन के आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। हनुमानजी की मूर्ति स्थापित करें। इसके पश्चात हाथ में चावल व फूल लेकर हनुमानजी को अर्पित कर दें।
– हाथ में फूल लेकर श्री हनुमानजी का आवाह्न करें एवं उन फूलों को हनुमानजी को अर्पित कर दें।
– फिर हनुमानजी को आसन अर्पित करें। आसन के लिए कमल अथवा गुलाब का फूल अर्पित करें। इसके बाद इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए हनुमानजी के सामने किसी बर्तन अथवा भूमि पर तीन बार जल छोड़ें।
– इसके बाद हनुमानजी की मूर्ति को गंगाजल से अथवा शुद्ध जल से स्नान करवाएं तत्पश्चात पंचामृत (घी, शहद, शक्कर, दूध व दही) से स्नान करवाएं। पुन: एक बार शुद्ध जल से स्नान करवाएं। फिर हनुमानजी को वस्त्र अर्पित करें।
– इसके बाद हनुमानजी को गंध, सिंदूर, कुंकुम, चावल, फूल व हार अर्पित करें। अब हनुमानजी को धूप-दीप दिखाएं।
– इसके बाद केले के पत्ते पर या किसी कटोरी में पान के पत्ते के ऊपर प्रसाद रखें और हनुमानजी को अर्पित कर दें तत्पश्चात ऋतुफल अर्पित करें। (प्रसाद में चूरमा, भीगे हुए चने या गुड़ चढ़ाना उत्तम रहता है।) अब लौंग-इलाइचीयुक्त पान चढ़ाएं। फिर हनुमानजी को दक्षिणा अर्पित करें।
– इसके बाद एक थाली में कर्पूर एवं घी का दीपक जलाकर हनुमानजी की आरती करें। इस प्रकार पूजन करने से हनुमानजी अति प्रसन्न होते हैं तथा साधक की हर मनोकामना पूरी करते हैं।