Religious News. प्रेम और सहयोग की भावना का संदेश देने वाले सिंधी समाज के सांस्कृतिक पर्व लाल लोई को 13 जनवरी को संपूर्ण सिंधी समाज उत्साह और उमंग के साथ प्रत्येक नगर प्रत्येक कॉलोनी प्रत्येक कस्बे में प्रत्येक मोहल्ले में मनाएगा लाल लोई के पर्व को सिंधी समाज प्रत्येक सिंधी मंदिर सिंधी कॉलोनी सिंधी बस्ती भारतवर्ष के प्रत्येक नगर में मनाया जाता है लालोई के पर्व पर पूर्व में प्रत्येक सिंधी परिवार से एक एक लकड़ी इकट्ठे की जाती थी और उसे इकट्ठा करके सामूहिक रूप से होलिका दहन के समान उसे शाम को जलाया जाता है उसके पीछे मकसद उद्देश्य यही रहता था कि प्रत्येक परिवार द्वारा दी गई एक एक लकड़ी सामूहिक सहयोग आपसे प्रेम और सद्भावना को और मजबूत करती थी वर्तमान समय में समय अभाव के कारण आपस मैं सहयोग राशि इकट्ठा करके लकड़ी जलाऊ लकड़ी टाल से मंगाई जाती है शाम को लाल लोई माता का पूजन महिलाओं द्वारा किया जाता है लाल लोई माता से महिलाओं द्वारा अपने परिवार अपने नगर अपने देश की सुख समृद्धि की प्रार्थना की जाती है लाल लोई माता से परिवार के सदस्य व्यक्तिगत मन्नत पूरी करने के लिए प्रार्थना करते हैं और मन्नत पूरी होने पर अगले वर्ष माता के पूजन प्रसाद का वितरण करते हैं सामूहिक रूप से लाल लोई माता के अग्नि दहन के पश्चात उसकी परिक्रमा की जाती है और माता की आराधना में भजन गाए जाते हैं प्रसाद में नारियल तिल से बनी हुई रे वढ़िया आदि सुखो सेसा वितरित किया जाता है यह पर्व यह संदेश देता है की जाड़े ठंड के सीजन कि आज समाप्ति हो रही है अगले दिन मकर संक्रांति के बाद जाड़े की सीजन की समाप्ति का आरंभ हो जाता है.