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Religious And Spiritual News – कथावाचक प्रदीप मिश्रा के आव्हान पर लाखों श्रद्धालुओं द्वारा किया गया पार्थिव शिव लिंग निर्माण व अभिषेक

Religious And Spiritual News: शुक्रवार को ग्राम चितावालिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर व कुबेरेश्वर महादेव मंदिर पर विठलेश सेवा समिति ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, कोरोना संक्रमण काल की समाप्ति और विश्व कल्याण के लिए भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा के सानिध्य में सावन मास की शिवरात्रि के पावन अवसर पर पार्थिव शिव लिंग निर्माण व अभिषेक का लाइव प्रसारण के माध्यम से करीब लाखों घरों पर श्रद्धालुओं द्वारा टीवी, इंटरनेट मीडिया और यू-ट्यूब आदि के द्वारा किया गया। कार्यक्रम को लेकर अनेक स्थानों पर बड़ी संख्या में मंदिरों, घरों पर अन्य स्थानों पर श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की। यह प्रदेश ही नहीं देश में अपने आप में कोरोना काल में इतिहास है। जिसमें एक साथ लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने रात्रि 7 बजे से 8 बजे तक शिव लिंगों का अभिषेक वैदिक मंत्रों के साथ किया। एक अनुमान के साथ ऐतिहासिक दिव्य अनुष्ठान का विश्व रिकार्ड भी स्थापित हो सकता है। आधा दर्जन से अधिक ब्राह्मणों के द्वारा यहां पर पार्थिव शिव लिंग के निर्माण के साथ भगवान शिव का अभिषेक का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम को लेकर सुबह से ही श्रद्धालुओं में आस्था का केन्द्र लाइव प्रसारण पर दिव्य अनुष्ठान था, लाखों श्रद्धालुओं ने पूरे उत्साह और भाव के साथ अपने घरों पर ही पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया था।

इस मौके पर भागवत भूषण श्री मिश्रा ने कहा कि उक्त दिव्य आयोजन कोरोना संक्रमण की मुक्ति के साथ ही विश्व के कल्याण के लिए आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सर्वदेवात्मको रुद्रः सर्वे देवाः शिवात्मकाः अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा में हैं। जैसा की मंत्र से साफ है कि रूद्र ही सर्वशक्तिमान हैं। रुद्राभिषेक में भगवान शिव के रुद्र अवतार की पूजा की जाती है। यह भगवान शिव का प्रचंड रूप है समस्त ग्रह बाधाओं और समस्याओं का नाश करता है। सावन के महीने में रुद्र ही सृष्टि का कार्य संभालते हैं, इसलिए इस समय रुद्राभिषेक अधिक और तुरंत फलदायी होता है। इससे अशुभ ग्रहों के प्रभाव से जीवन में चल रही परेशानी भी दूर होती है, परिवार में सुख समृद्धि और शांति आती है। रुद्राभिषेक यूं तो कभी भी किया जाए यह बड़ा ही शुभ फलदायी माना गया है। लेकिन सावन में इसका महत्व कई गुणा होता है। शिवपुराण के रुद्रसंहिता में बताया गया है कि सावन के महीने में रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी है। रुद्राभिषेक में भगवान शिव का पवित्र स्नान कराकर पूजा-अर्चना की जाती है। यह सनातन धर्म में सबसे प्रभावशाली पूजा मानी जाती है जिसका फल तत्काल प्राप्त होता है। इससे भगवान शिव प्रसन्ना होकर भक्तों के सभी कष्टों का अंत करते हैं और सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं, लेकिन इस वर्ष कोरोना संकट के कारण कई शिवालयों में रुद्राभिषेक की अनुमति नहीं है। ऐसे में आप घर पर भी यह पवित्र अभिषेक कर सकते हैं। यजुर्वेद में घर पर रुद्राभिषेक करने की विधि के बारे में बताया गया है, जो अत्यंत लाभप्रद है। समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि इन दिनों मंदिर में कोरोना काल को ध्यान में रखते हुए नागवासुकी शिव महापुराण कथा का आयोजन भी चल रहा है। जिसका इंटरनेट मीडिया आदि पर प्रसारण किया जाता है। वहीं शुक्रवार को सावन शिवरात्रि के पावन अवसर पर उक्त आयोजन किया गया था जो अपने आप में एतिहासिक है। इस मौके पर लाखों श्रद्धालुओं ने लाइव प्रसारण पर पूजा अर्चना की।

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