दशहरे पर रावण के पुतलों का दहन किया जाता है और शस्त्र पूजन किया जाता है। इन परंपराओं के अलावा इस दिन शमी वृक्ष का पूजन करने की परंपरा भी है। आज भी अनेक स्थानों पर इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है। इस वृक्ष से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं। आज हम आपको उन्हीं के बारे में बता रहे हैं.
इसलिए दशहरे पर करते हैं शमी पूजन
विजयादशमी पर शमी पूजन का बड़ा महत्व होता है। मान्यता है कि दशहरे पर शमी का पूजन करने से आयु, आरोग्य और शक्ति में वृद्धि होती है। समस्त पापों का नाश होता है। परंपरागत रूप से विजयादशमी के दिन शमी की पूजा क्षत्रियों तथा प्राचीन काल में राजा-महाराजाओं द्वारा की जाती रही है। आज भी यह परंपरा अनेक क्षत्रिय घरों में निभाई जाती है। इसके लिए शहर के उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित शमी के पेड़ का पूजन किया जाता है। अब तो घरों के गमलों में लगे शमी के पौधे का भी पूजन किया जाता है।
ज्योतिष में शमी का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शमी वृक्ष पर शनि का प्रभाव अधिक रहता है इसलिए शनि दोष कम करने के लिए शमी वृक्ष की पूजा की जाती है। जिस व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती और ढय्या का प्रभाव रहता है, उसे शमी वृक्ष पर जल चढ़ाने की सलाह दी जाती है।
शमी के उपाय
1. अगर आप शनि के दोषों को कम करना चाहते हैं तो हर शनिवार शनि को शमी के पत्ते चढ़ाना चाहिए। इस उपाय शनि बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और कार्यों की बाधाएं दूर हो सकती हैं।
2. घर की उत्तर-पूर्व दिशा के कोने में शमी का पौधा लगाना चाहिए। किसी भी शुभ दिन ये पौधा घर में लगाएं और नियमित रूप से इसकी पूजा करें। इस उपाय से शनि के दोषों से मुक्ति मिल सकती है।
3. शिवलिंग पर शमी के पत्ते चढ़ाने से सभी ग्रहों के दोष दूर हो सकते हैं। ये उपाय रोज या हर सोमवार को किया जा सकता है।