शरद पूर्णिमा हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक माना जाता है। यह पर्व अश्विन मास में आता है। शरद पूर्णिमा के अन्य नाम कुमार पूर्णिमा, कोजागिरी पूर्णिमा, नवन्ना पूर्णिमा, अश्विन पूर्णिमा और कौमुदी पूर्णिमा भी है। शरद पूर्णिमा जैसा कि नाम से समझ आता है “शरद ऋतु” को दर्शाता है। कई भारतीय राज्यों में, शरद पूर्णिमा को एक उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस वर्ष शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर को मनाई जा रही है।
शरद पूर्णिमा पर, कई भक्त देवी लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा करते हैं। मान्यता है कि देवी लक्ष्मी एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाती हैं और सबसे पूछती हैं , “कौन जाग रहा है” और जो लोग जागते पाए जाते हैं उन्हें आशीर्वाद देती हैं। इसी कारण शरद पूर्णिमा पर लोग नहीं सोते हैं और इसके बजाय पूरे दिन को अत्यधिक भक्ति भावना के साथ बिताते हैं। भक्त जन व्रत-उपवास और पूजन आदि करके सुख समृद्धि कि कामना करते हैं।
शरद पूर्णिमा पर, कई भक्त देवी लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा करते हैं। मान्यता है कि देवी लक्ष्मी एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाती हैं और सबसे पूछती हैं , “कौन जाग रहा है” और जो लोग जागते पाए जाते हैं उन्हें आशीर्वाद देती हैं। इसी कारण शरद पूर्णिमा पर लोग नहीं सोते हैं और इसके बजाय पूरे दिन को अत्यधिक भक्ति भावना के साथ बिताते हैं। भक्त जन व्रत-उपवास और पूजन आदि करके सुख समृद्धि कि कामना करते हैं।
शरद पूर्णिमा पर बातों का रखें ध्यान
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था और इसलिए इस दिन उनसे जो कामना करते हैं वो पूर्ण होती है। लेकिन फिर भी शरद पूर्णिमा के दिन आपको ये कार्य करने से बचना चाहिए अन्यथा आपको आर्थिक हानि हो सकती है।
- शरद पूर्णिमा के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करने की आवश्यकता है यदि ऐसा नहीं होता है तो पति पत्नी के रिश्ते में मनमुटाव हो सकता है।
- वैसे तो दान-पुण्य करना अच्छा माना जाता है लेकिन शरद पूर्णिमा के दिन यदि आप दान करने के इच्छुक है तो सूर्यास्त से पूर्व ही दान करें। सूर्यास्त के बाद दान करने से आप कर्ज़दार हो सकते हैं।
- शरद पूर्णिमा के दिन चूल्हे पर कढाई अवश्य चढ़ाएं और कच्चा भोजन न बनाएं।
- जीवन में रंगीन का बहुत महत्व है। शरद पूर्णिमा के दिन काले रंग के वस्त्र पहनने से बचें और हो सके तो सफेद वस्त्र धारण करें।