भारत और चीन के बीच चल रही तनातनी के चलते चीन को हर मोर्चे पर मुंह की खानी पड़ रही है। ऐसे में एक बार फिर चीन को बड़ा व्यापारिक झटका लगा है। बड़ी-बड़ी कंपनी चीन से अपना नाता तोड़ कर भारत का रुख कर रही है। इसी कड़ी में वह भारत की ओर बड़ी उम्मीदों की नज़रों से देख रही है कि भारत उन्हें अपना व्यापार शुरू करने के लिए जगह दें। इसी सिलसिले में ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल निर्माता कंपनी सैमसंग और एप्पल जैसी लगभग दो दर्जन से भी ज्यादा कंपनियां भारत में निवेश को लेकर अपनी रुचि दिखा रही हैं।
बता दें कि इन कंपनियों की ओर से भारत में मोबाइल फोन फैक्टरी लगाने के लिए लगभग 1.5 अरब डॉलर का निवेश किए जाने की उम्मीद है। सैमसंग और एप्पल के साथ-साथ फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन कॉर्प और पेगाट्रॉन जैसी कंपनियां भी इस दौड़ में शामिल हैं। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव और कोरोना महामारी के चलते ये सभी कंपनियां सक्रिय रूप से अपनी आपूर्ति व्यवस्था में विविधता के लिए नई जगहों की ओर रुख करना चाहती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक स्टैंडर्ड चार्टर्ड पीएलसी के हाल ही में हुए सर्वे में यह जानकारी सामने आई है। हालांकि विदेशी कंपनियों के लिए कारोबार सस्ता करने के बावजूद भी भारत को इसका बड़ा फायदा होता हुआ नहीं नजर आया। इन कंपनियों की पहली पसंद वियतनाम बना हुआ है। इसके बाद यह कंपनियां कंबोडिया, म्यांमार, बांग्लादेश और थाईलैंड जैसे देशों में भी अपनी रुचि दिखा चुकी है। सरकार को उम्मीद है कि अकेले इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में आने वाले पांच साल में लगभग 153 अरब डॉलर का सामान बनाया जा सकता है। इससे प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार के लगभग 10 लाख अवसर पैदा होंगे। विशेषज्ञों की माने तो इससे पांच साल में 55 अरब डॉलर का निवेश होने की संभावना है।
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