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Golden Kachua | क्या सच में भगवान Vishnu का रूप है “गोल्डन कछुआ” ? क्या है इसकी सच्चाई ?

जैसे की आप में लगभग लोग जानते ही होंगे कि इंटरनेट पर नेपाल में मिले गोल्डन यानि सुनहरे रंग के कछुए की तस्वीरें खूब वायरल हो रही है। इतनी तेजी से इसके वायरल होने का एक कारण जहां इसका सुनहरा रंग बताया जा रहा है तो वहीं एक अन्य कारण सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु को माना जा रहा हैै। दरअसल कहा जा रहा है ये पीले कछुआ आम कछुओं की तरह नहीं बल्कि साक्षात भगवान का रूप है। बल्कि नेपाल में बहुत से लोग इसे भगवान मानकर इनकी पूजा कर रहे हैं।

ये सब देखते हुए कहा ये भी जा रहा है कि लोगों की ये आस्था अब इस जीव पर एक संकट की तरह मंडरा रहा है। क्योंकि आस्था के चलते लोग इसको भगवान का रूप मानकर न केवल इसकी पूजा कर रहे हैं बल्कि इस पर तरह तरह की चीज़ें भी चढ़ा रहे हैं। जो कहीं न कहीं इसके लिए नुकसान दायक हो सकती हैं। क्या है गोल्डन कछुए का भगवान विष्णु से कनेक्शन- नेपाल के लोगों का कहना है कि इस गोल्डन कछुए ने भगवान विष्णु के रूप में इस धरती पर जन्म लिया है। तो वहीं कहा ये भी जा रहा है कि इस कछुए का ऊपरी हिस्सा आकाश और निचला हिस्सा धरती है। सनातन धर्म के शास्त्रों की मानें तो इसके बारे में पुराणों में भी वर्णन भी पढ़ने को मिलता है। जिस कारण इस तरह की तमाम मान्यताएं स्थानीय लोगों में अधिक फैली हुई हैं। तो वहीं अगर एक्सपर्ट्स की मानें तो उनका कहना है कि इस तरह के दुर्लभ कछुए पूरी दुनिया में केवल पांच ही हैं। ये एक तरह की असामान्य खोज है लेकिन विज्ञान इसे जेनेटिक तरीके से गलत प्रभाव पड़ने के कारण विकसित हुए जीव की कैटेगरी में रखता है। लेकिन फिर भी ये जीव हमारे लिए बेहद खास और बहुमूल्य है। बताया जा रहा है कि ये कछुआ नेपाल के धनुषा जिले के धनुषधाम नगर निगम इलाके में पाया गया। जबकि अन्य जानकारों का ये भी कहना है कि कछुए के जींस में बदलाव हुआ है इसलिए ये गोल्डन पैदा हुआ है। इस तरह के परिवर्तन को क्रोमैटिक ल्यूसिजम (Chromatic lucum) कहा जाता है। इसी की वजह से गाय, कुत्ते बिल्ली और दूसरे जानवर दो या ज्यादा रंगों के पैदा होते हैं।

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