गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस में भगवान श्रीराम के चरित्र का अदुभुत वर्णन किया गया है। साथ ही इस ग्रंथ में लाइफ मैनेजमेंट से जुड़े अनेक सूत्र में बताए गए हैं। ये सूत्र आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। तुलसीदास जी में अपने एक दोहे में बताया है कि विपत्ति के समय किन लोगों परीक्षा होती है. धीरज धर्म मित्र अरु नारी। आपद काल परिखिअहिं चारी।। अर्थात- धीरज (धैर्य), धर्म, मित्र और पत्नी की परीक्षा कठिन समय में ही होती है। मित्र मित्रों का चुनाव हम स्वयं करते हैं। वैसे तो मनुष्य के हजारों मित्र होते हैं लेकिन सच्चा मित्र वही होता है जो संकट के समय आपकी मदद करता है। संकट में जो मित्र काम न आए, वो सच्चा मित्र नहीं होता। धीरज यानी धैर्य जब भी कोई संकट आता है तो व्यक्ति का मन विचलित होने लगता है। कई लोग विपत्ति से घबरा जाते हैं और गलत फैसले ले लेते हैं। जबकि यही समय होता है जब हमें धैर्य से काम लेना चाहिए और हर परेशानी का सोच-समझकर ही हल निकालना चाहिए।
धर्म धर्म यानी आपके द्वारा किए गए अच्छे काम। जब भी आप पर कोई विपत्ति आती है तो आपके द्वारा किए अच्छे कामों का प्रतिफल उस परेशानी को कम करता है। इसलिए कहते हैं धर्म यानी अच्छे काम करते रहना चाहिए। पत्नी अगर किसी स्त्री का पति वृद्ध, रोगी, मूर्ख, निर्धन, अंधा, बहरा, क्रोधी और गरीब भी है तो उसे अपने पति का पूरा सम्मान करना चाहिए। संकट के समय व्यक्ति को सबसे अधिक सहारा पत्नी ही देती है। इसलिए कहते हैं विपत्ति के समय ही पत्नी की सही पहचान होती है।
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